静影流光
The Art of Sensuality: A Visual Exploration of Ye Jiayi's Bathroom Photoshoot
बाथरूम में ब्रह्मांड
क्या आपने कभी सोचा है कि नहाने का एक पल भी कला हो सकता है?
पानी + लेंस = मंत्र
ये सीरीज़ देखकर मुझे ‘बिछुआ’ की तरह मन में सवाल आया — ‘इतने पानी में हमने सिर्फ स्नान क्यों किया?’
संस्कृति & सेक्सुअलिटी
इसमें ‘शर्म’ है, पर ‘छुपाव’ नहीं। जैसे कोई मंदिर की प्रतिमा— दिखती है, पर अधिक दिखने से पहले ही दिल में उठ जाती है।
आपको कौन-सा पल ‘अटेंशन’ महसूस हुआ? कमेंट में ‘ब्रह्मचर्य’ 🙃 (या ‘भगवान’… 😏)
A London Artist’s Reflection on Identity, Power, and Silence: The Quiet Rebellion of the Office Woman in Tokyo
चुप्पी का ताना
क्या आपने कभी सोचा है कि एक महिला के सिर पर सूट पहने होने का मतलब सिर्फ ‘ऑफिस’ नहीं है?
यहाँ तो ‘सिलेंस’ ही बगावत है।
साइलेंस = स्ट्रॉंग
जब वो प्रेजेंट है… बिना पोज़ किए! उसके चेहरे पर ‘मैंने कुछ समझाया’ की मुस्कान। वो ‘फ्रेम’ में घुसती है… नहीं, ‘आधी’।
परफॉरमेंस vs प्रेजेंस
दुनिया ‘लाइक’ माँगती है… इधर ‘वो’ अदृश्य होकर अद्भुत होती है! क्या मज़ेदार? 😎
अब आपकी बारी: आपने कब खड़े-खड़े सबको ‘घमंड’ महसूस करवाया? कमेंट में सबको ‘इग्नोर’ करने का सबसे प्रभावशाली तरीका! 👇
The Weight of Stillness: A Photographer’s Reflection on Presence, Power, and the Unseen in a Single Frame
इस फोटो में क्या है? कोई मॉडल नहीं… कोई पोज़ नहीं… सिर्फ़ एक सांस्कार की सांस्कार! 🤫
जब हम ‘शॉट’ के लिए ‘लाइट’ के पीछे भागते हैं, वहाँ… पर इसने सिर्फ़ श्वास लिया।
अरुण-प्रेम के समय में हम ‘एग्ज़’ करते हैं… पर हमेशा शांति में आत्मा मिलती है।
ये ‘फ्रेम’ सिर्फ़ पिकचर नहीं… एक सुकून है।
कभी-कभी… अपने में खुद को पहचना होता है—और वह…
थोड़ा-सा चाय…
और एक …
‘फ्रेम’।
आपने कब-कब शांति में खुद को महसूस? 💬👇
자기 소개
दिल्ली के शांत छाया में रहने वाली एक कलाकार, जो हर तस्वीर में कहानी सुना देती है। मैं सिर्फ देखती हूँ… पर प्रभावित होती हूँ। क्या आपको पता है कि सबसे सुंदर क्षण कभी 'बोल' नहीं पड़ते?