ज्योति कानिश् रात्रि
When She Is No Longer Watched: A Quiet Meditation on Silence, Light, and the Body in Phuket
जब वह नहीं देखी जाती… तो क्या हुआ? 😅
पूरा सेटलाइट के प्रोफेसर मेरे सामने को स्कैन करते हैं… पर यहां?
वो महिला ‘बिन’ है।
क्या?
वो ‘सिल्क’ से ‘स्किन’ को ‘मेमोरी’ करती है।
एक साँस…
दस सेकंड में पचास पचास!
यह कोई ‘ग़ाज़’ नहीं है —
यह ‘मधुमति’ है।
और हम?
अभी-दुख-दुख-दुख-दुख-दुख!
कमेंट्र में ‘चल’! 🌅
The Stillness of 30: A Visual Reflection on Aging, Beauty, and Inner Light
30 की शांति? हाँ भाई… ये वो ‘ग्लोइंग स्किन’ है जो कहता है ‘मैंने आज़ाद से पहली बार सुबह की सुबह में मुझे परछाई!’
क्या कमेकअप? क्या रिटचॉइंग?
ये तो सिर्फ़ ‘सांस’ है — पुरानी मेमोरी का प्रवाह।
30 साल की ‘फॉलफ़ल’ (flawless) नहीं… ‘फ्रॉन्टल’ (flawed) है — पर सच्ची।
कमेकअप में मटका?
नहीं।
सिर्फ़ पड़ता हुआ ‘चाय’।
और सिर्फ़… ‘ये ठीक है।’
आपके पुरखे?
कमेंट्री में शो! 🤫
In the Steam of Silence: A Photographic Reflection on VETIVER’s Wet-Threaded Confidence in Hangzhou
असल में ये तो कोई फोटोग्राफी नहीं… ये तो ‘बाथरूम का मन’ है! 🤭
वेटिवर (VETIVER) ने पॉज़ किया? नहीं। उसने सिर्फ़ सांस लिया — पानी के बादल के साथ।
क्या कहती है? “मैं हूँ… जब सन्नाटा हो।”
कपड़ की पट्टी पर पसीना? हाँ। एक पेड़ल स्विच? हाँ। पर… कुछ मुझे दिखता है — जब वह मुझे देखती है… और मुझे खुद से पूछती है: “क्या मैं… असल हूँ?”
ये 58 image? नहीं… ये 1 soul.
आपको क्या लगता है? कमेंट्र में ‘गोन’ 😌
Whisper of Light: A Japanese-American Photographer’s Quiet Tribute to Kawaii Subculture Through Minimalist Film
कावाई? ये तो बस कर्म है… कमरा में पड़ती है! 🤫
इस फोटोग्राफर ने सोचा — ‘कावाई’ का मतलब है? नहीं! ये ‘छल्ल’ है… सफेद पुरवा में पड़ा हुआ सन्नाटा।
जब मैंने पहली बार किसी को ‘कॉसप्ले’ कहा… उसने मुझे 1000+ बच्चों से पूछा — ‘अब किसने मुझे समझा?’
अभी-देशीय समय? वो ‘पिक-अप’ नहीं… ‘पिक-अप’ है।
और हम सब… थोड़ी ‘शिन’ करते हैं… और ‘फिल्म’… खुद को ‘इन्डियन’ मतलब!
आपको क्या लगता है? 👀
#KawaiiIsSilence #DelhiToTokyo #NoClicksJustBreath
The Art of Seduction: A Visual Exploration of Sensuality in Black Lingerie and Stockings
काला लिंजरी में छुपा है सबका ज्ञान!
जब तक़दी के साथ में कोई सेक्स करता है… वो तो सिर्फ़ पैरों पर पड़े हुए सन्नाटे की है।
ये फोटोशूट सिर्फ़ ‘हॉट’ नहीं… ‘हॉस्ट’ है!
एक महिला के कपड़े में प्रचलित हुआ भगवत।
अगल-80% प्रति-25% समय…
ये समझ का धर्म है — खुद को देखना, उड़ नहीं!
अब बताओ… आप इसे पढ़? 🕯️
(और हाँ… वो #D4AF37 कलर में चमक रही…)
The Quiet Elegance of Light: A Photographer’s Reflection on Beauty, Identity, and the Art of Bare Skin
इस फोटो में कोई मॉडल नहीं है… सिर्फ़ एक साया है।
शामोस की छाया में बैठी हुई औरत… क्या वो ‘बेर स्किन’ है? नहीं! वो ‘बेर सिल’ है — परदे के पीछे का सच्चाई!
लेंस में ‘क्लिक’ की जगह… ‘धीम’ की साँस!
जब पढ़ते हुए - ‘यह प्रेस’… मुझे पता है – ‘यह’ खुद
औरतें… जब ‘पोज’ करती हैं… वो ‘फिल्टर’ में नहीं, अपने आँखों में छुप
कमेंट्रीज़ में? “अगल-चित्र”… आपका विचार?
Introdução pessoal
मैं दिल्ली की एक शांत फोटोग्राफर हूँ, जो सुंदरता के साथ महिला के आत्मा को पकड़ती हूँ। मेरी हर तस्वीर एक मौन संगीत है —— प्रकाश के स्पर्श से प्रेम, छाया से पुकार। मैं समय को नहीं, पर मन को पुकड़ती हूँ। 🌅✨ (98字)






