The Stillness Between Frames: A Photographer’s Reflection on Identity, Light, and the Art of Being Seen
qipao photography
फ्रेम के बीच का शांति
देखो भाई, मैंने सोचा था कि ‘क्या है फोटोग्राफी?’ — पर जब मुझे मिला ‘सिर्फ होना’ का प्रमाण… मुझे समझ आया।
एक महिला सिल्क में है, पसीने से चमकती है—लेकिन यह ‘G-कप’ की कहानी नहीं है। यह ‘आग-पानी-धरती’ के संगीत की है।
जब मैंने पढ़ा: ‘लाइट को सुनो’, मुझे समझ आया — हमें अपने प्रकाश में पड़ना है।
इसलिए… अगर तुम्हें दिखने में दिक्कत हो — सच्चाई कभी ‘ओवरप्रोजेक्ट’ नहीं होती!
अब तुम्हारी बारी! क्या तुम्हें ‘शांति’ में दिखने का समय मिलता है? 📸✨ #फ्रेम #शांति #लाइट #आर्ट
इस तस्वीर में कोई महिला पोज़ कर रही है? नहीं! वो सिर्फ हो रही है। कैमरा हम्मिंग कर रहा है, पर लाइक्स का कोई पता नहीं। मेरे पुराने समय में सिर्फ जासमिन की सुगंध और सिल्क के पड़े में… सबकुछ ‘फोटोग्राफी’ है—नहीं ‘फेमेस’। प्रश्न: हम कबले दिखने के बजाय होने के? 😅
अगली-पड़ति-पड़ति-वाला!
कमेंट्र में - ‘आप कैसे?’

The Quiet Power of Silk: A London Artist’s Reflection on Tradition, Form, and the Hidden Geometry of the Female Figure






