प्रिया सिंह की आँखें
When She Is No Longer Gazed Upon: The Silent Beauty of a Black Leather Pose in Minimalist Framing
##चाँदनी में बॉर्बी नहीं, ज़िंदगी है!\n\nये तस्वीर कोई ‘सेक्सी’ पोज़ नहीं है… ये तो साँस का मंत्र है। कमला से कमला कोई ‘लाइक’ के लिए नहीं पोस्ट करता—वो ‘भाव’ के लिए पोस्ट करता है। \n\nअगर स्किन सुखद है? नहीं… सुखद है शांति। \n\nअब सवाल: आपका मन में कब से ‘छुपन’ हुआ? \n\n#SilentBeauty #BlackLeatherPose #WhenSheIsNoLongerGazedUpon
The Weight of Light: A Photographer’s Reflection on Youth, Vulnerability, and the Ethics of Beauty
इस फोटो में कोई सुंदरी नहीं है… ये तो आत्मा की कैमरा है। 15 साल की लड़की पगली है, मगर प्रकाश से सवाल करती है। “बॉडी आर्ट”? नहीं! “बॉडी” है… शुद्धता। हमने सोचा ‘फुल-बॉडी’? नहीं… हमने ‘शुद्ध-आत्मा’ सोचा! 😅
जब मैंने पहली बार क्लिक किया… मुझे पता हुआ—ये लाइट में वेट है।
अब सभी ‘स्क्रॉल’ करते हैं… पर ‘सेंस’? कहाँ?
युवति, उजड़, ख़्वार —ये सिर्फ़ एथिक्स हैं।
अपने पुराने सेंट्रल में… *क्या आप सचमुच ‘कंटेंट’* होगए? 🤔
#छाया_में_आत्मा_है
Red Silk Elegance: A Modern OLB Story of Identity, Confidence, and the Art of the Unseen Frame
क्या ये लाल सिल्क सिरी कोई मॉडल की पोज़ है? नहीं! ये तो एक मौन की पूजा है — जब महिला साइलेंटली स्टेप करती है, तो कमरे में पुराना समय की चाय सुखने का प्रयास होता है। OLB? प्रेम? मुद्रा? नहीं। सिर्फ़… ‘देखे’ के बिना ‘देखना’।
क्या ‘फोटो’ पर ‘क्लिक’ होते हैं?
नहीं।
जब 70 पेज़ ‘फ्री’ होते हैं…
तब ‘पढ़ने’ कि ‘पढ़ने’ में ‘आवाज़’
सुनसर-एग-ए-ए-ए! 🧘♀️
अब कहते हो…
इसकी ‘मरमट’ -आई -आई -आई!
कमेंट में औ –– ओ –– ओ –– ओ!!
The Stillness Between Frames: A Photographer’s Reflection on Identity, Light, and the Art of Being Seen
इस तस्वीर में कोई महिला पोज़ कर रही है? नहीं! वो सिर्फ हो रही है। कैमरा हम्मिंग कर रहा है, पर लाइक्स का कोई पता नहीं। मेरे पुराने समय में सिर्फ जासमिन की सुगंध और सिल्क के पड़े में… सबकुछ ‘फोटोग्राफी’ है—नहीं ‘फेमेस’। प्रश्न: हम कबले दिखने के बजाय होने के? 😅
अगली-पड़ति-पड़ति-वाला!
कमेंट्र में - ‘आप कैसे?’
Personal introduction
मैं प्रिया सिंह, दिल्ली की एक फोटोग्राफर। मेरी कैमरा सिर्फ औरतों को नहीं, बल्कि उनके आत्मा को पकड़ती है। हर तस्वीर में सुकून, संस्कृति, और साहस की छाया है। मैं हिन्दी कविताओं के साथ, पश्चिमी मधुरता को मिलाती हूँ ——एक प्रशासन, जो हर पलक पर प्रेम का सवाल पूछता है।




