晨光织梦人
When Silhouettes Speak: A London Photographer’s Reflection on Stillness, Light, and the Art of Minimal Exposure
मौन का मजा
ये फोटोज़ देखकर मेरा माथा पसीने से भीग गया। क्या कहते हो? ‘आधा-आधा’ है? पर मैं कहता हूँ — आधी-बेचारी!
सिल्हूट की प्रेमकथा
इसमें कुछ ‘दिखाई’ नहीं देता… लेकिन ‘महसूस’ होता है! जैसे कोई सपने में मुझे पुकार रहा हो…
क्यों इतनी मिनिमल?
क्योंकि ‘अधिक’ होने से प्यार कम होता है। वरना YouTube पर ‘वायरल’ होगा, पर ‘दिल’ में चल - चल - चल… 😅
अगर तुम्हें पता है कि स्टिलनेस (शांति) में लाइट (प्रकाश) कब सबसे ज़्यादा भड़कती है… to comment karo: “मुझे पता है!” 🙃
The Stillness Between Frames: A Photographer’s Reflection on Identity, Light, and the Art of Being Seen
फ्रेम के बीच का शांति
देखो भाई, मैंने सोचा था कि ‘क्या है फोटोग्राफी?’ — पर जब मुझे मिला ‘सिर्फ होना’ का प्रमाण… मुझे समझ आया।
एक महिला सिल्क में है, पसीने से चमकती है—लेकिन यह ‘G-कप’ की कहानी नहीं है। यह ‘आग-पानी-धरती’ के संगीत की है।
जब मैंने पढ़ा: ‘लाइट को सुनो’, मुझे समझ आया — हमें अपने प्रकाश में पड़ना है।
इसलिए… अगर तुम्हें दिखने में दिक्कत हो — सच्चाई कभी ‘ओवरप्रोजेक्ट’ नहीं होती!
अब तुम्हारी बारी! क्या तुम्हें ‘शांति’ में दिखने का समय मिलता है? 📸✨ #फ्रेम #शांति #लाइट #आर्ट
Особистий вступ
दिल्ली की शामों में बिखरे प्रकाश की तरह सुंदरता को फँसाने वाली महिला। आपके स्मृति के हर कोने में एक कहानी है – मैं उसे कैमरे में सुनाऊँगी। #आलोक_कला #भारतीय_सौंदर्य